मन की इच्छाओं और वासनाओं को नियंत्रित करना उतना ही दुर्लभ है
तुम हो एक ख़्वाब से भरी दौलत
क्या सबकुछ मिल जाएगा जब खुश हो जाओगे क्या ?
लवली दर्शन(एक हास्य रचना ) ....
*समझो बैंक का खाता (मुक्तक)*
मनुष्य को विवेकशील प्राणी माना गया है,बावजूद इसके सभी दुर्गु
उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा...
किण गुनाह रै कारणै, पल-पल पारख लेय।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
तुझे रूकना नहीं आता मुझे छोड़ ना।
नहीं भूलता बंटवारे का वो दर्द ...
सूखते ही ख़्याल की डाली ,
किसी ने हमसे कहा कि सरोवर एक ही होता है इसमें हंस मोती ढ़ूँढ़त
ग़ज़ल _ क्या हुआ मुस्कुराने लगे हम ।