Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2024 · 1 min read

मेरी संवेदनाएं

कुछ जीवन का कोलाहल है,
कुछ उलझे ताने – बाने हैं।
कुछ पीड़ा की गहराई है,
कुछ पतझड़ की अमराई है।
कुछ सपनों के रेले हैं,
कुछ हम भी पूरे – कुछ अकेले हैं।
कुछ सूखा-सूखा सा मन है,
कुछ खाली – खाली भी सावन है।
कुछ मुरझाई सी यादें हैं,
कुछ भूली सी बातें हैं।
कुछ एहसासों की आंधी है,
कुछ डोर प्रीत की बांधी है।
कुछ अनकहा समर्पण है,
कुछ जीवन का शेष अर्पण है।
कुछ बेबसी की लकीरें हैं,
कुछ रिश्तों की जंजीरे हैं।
कुछ रेत सा फिसलता जाता है,
कुछ समय गुज़रता जाता है।
कुछ हम भी आस लगाए हैं,
कुछ अपनी ही हंसी उड़ाए हैं।।

6 Likes · 3 Comments · 113 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shalini Mishra Tiwari
View all

You may also like these posts

भारत की धरती से देखो इक परचम लहराया है।
भारत की धरती से देखो इक परचम लहराया है।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
मौसम
मौसम
Sumangal Singh Sikarwar
कुछ ख़्वाब टूटकर भी मरते नहीं हैं.
कुछ ख़्वाब टूटकर भी मरते नहीं हैं.
पूर्वार्थ
"वक्त" भी बड़े ही कमाल
नेताम आर सी
फाग
फाग
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
डॉ. दीपक बवेजा
दिल्लगी का आलम तुम्हें क्या बतलाएं,
दिल्लगी का आलम तुम्हें क्या बतलाएं,
श्याम सांवरा
"हो चुकी देर"
Dr. Kishan tandon kranti
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
Kumar lalit
बहुत
बहुत
sushil sarna
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
Ranjeet kumar patre
23/118.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/118.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फ़ायदा क्या है यूं वज़ाहत का,
फ़ायदा क्या है यूं वज़ाहत का,
Dr fauzia Naseem shad
एक सपना देखा था
एक सपना देखा था
Vansh Agarwal
ख़्वाब उसके सजाता रहा.., रात भर,
ख़्वाब उसके सजाता रहा.., रात भर,
पंकज परिंदा
जिंदगी का हिसाब क्या होगा।
जिंदगी का हिसाब क्या होगा।
सत्य कुमार प्रेमी
मची हुई संसार में,न्यू ईयर की धूम
मची हुई संसार में,न्यू ईयर की धूम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है
ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है
gurudeenverma198
कुछ रूबाइयाँ...
कुछ रूबाइयाँ...
आर.एस. 'प्रीतम'
पीयूष गोयल में १७ पुस्तकें लिख कर रच दिया इतिहास.
पीयूष गोयल में १७ पुस्तकें लिख कर रच दिया इतिहास.
Piyush Goel
#सियमात लौटाओ तो कभी
#सियमात लौटाओ तो कभी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
तेवरी का अपना ही तेवर +मदनमोहन ‘उपेन्द्र’
तेवरी का अपना ही तेवर +मदनमोहन ‘उपेन्द्र’
कवि रमेशराज
अगर हो तुम सजग
अगर हो तुम सजग
Bimal Rajak
प्रथम नागरिक द्रौपदी मुर्मू
प्रथम नागरिक द्रौपदी मुर्मू
Sudhir srivastava
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... मिलन की चाह
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... मिलन की चाह
Neeraj Kumar Agarwal
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
क्या हैं पैसा ?
क्या हैं पैसा ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
*छोटी से हसंसिकाय*
*छोटी से हसंसिकाय*
aestheticwednessday
🙅देश व धर्म हित में🙅
🙅देश व धर्म हित में🙅
*प्रणय*
Loading...