जो अपनी ख़ुदी से हारा वो ज़िंदगी से हार जाता है ,
जो सारे दुखों को हर लें भी भगवान महादेव हर है ।
अच्छा हुआ टूट गए ख्वाब मगरुर मेरे ,
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
मैंने गाँधी को नहीं मारा ?
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
नहीं टिकाऊ यहाँ है कुछ भी...
मैं भी बचा न सकी ओट कर के हाथों की
जिस तरह हमने निभाया था निभाता तू भी
ख़्वाब में पास थी वही आँखें ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
ई कइसन भगताई अवधू ई कइसन भगताई