Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Apr 2024 · 1 min read

अहं

मुँह अंधेरे सवेरे किसी ने मुझे झिंझोड़कर जगाया,
उठकर देखा तो सामने एक साए को खड़ा पाया,

मैंने पूछा कौन हो तुम? तुमने मुझे क्यों जगाया?
उसने कहा मैं तुम्हारा अहं हूँ,

तुम्हारी कल्पना की नींद से मैंने ही तुम्हें जगाया,

मेरी खातिर तुमने अपने अच्छे रिश्तोंं को गवांया,
अपने अच्छे दोस्तों के नेक सुझावों को ठुकराया,

बड़े बूढ़ों की नसीहतों को नज़रअंदाज़ किया,
संस्कार और मूल्यों तक को दांव पर लगा दिया,

हमेशा खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए कुतर्क का सहारा लिया,
दूसरों की प्रज्ञा को तिरस्कृत कर अपमानित किया,

यथार्थ के धरातल पर न रहकर तुम काल्पनिक उड़ान भरते रहे,
सच और झूठ, छद्म और यथार्थ, के अंतर को कभी समझ न सके,

तुम मतिभ्रम होकर, अपने ही द्वारा निर्मित तिमिर में भटकते रहे,
कभी स्वयं का जागृत संकल्प पथ प्रशस्त
न कर सके,

तुम्हें संज्ञान नहीं कि जिस पथ पर तुम हो,
वह तुम्हें अधोगति मे ले जाएगा,
दिग्भ्रमित उस पथ पर द्वेष, क्लेश एवं संताप के सिवा कुछ भी हासिल न होगा,

तुम्हारी अंतरात्मा की आवाज का मान रखकर,
मैं तुमसे अलग हो रहा हूँ,

तुम्हारी उन्नति के पथ पर बाधा न बनूँ,
इसलिए तुम्हें छोड़कर जा रहा हूँ।

3 Likes · 119 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

उनसे ही धोखा मिला ,जिन पर किया यकीन
उनसे ही धोखा मिला ,जिन पर किया यकीन
RAMESH SHARMA
आत्महत्या
आत्महत्या
आकांक्षा राय
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
Dr Archana Gupta
खामोशी तेरी गूंजती है, घर की सूनी दीवारों में,
खामोशी तेरी गूंजती है, घर की सूनी दीवारों में,
Manisha Manjari
अब ना हार मानेंगे...
अब ना हार मानेंगे...
भगवती पारीक 'मनु'
पेड़ पर अमरबेल
पेड़ पर अमरबेल
Anil Kumar Mishra
मां के कोख से
मां के कोख से
Radha Bablu mishra
पगड़ी सम्मान
पगड़ी सम्मान
Sonu sugandh
गोंडवाना गोटूल
गोंडवाना गोटूल
GOVIND UIKEY
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी
उमा झा
"" वार दूँ कुछ नेह तुम पर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बनारस का घाट और गंगा
बनारस का घाट और गंगा
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अक्षर ज्ञानी ही, कट्टर बनता है।
अक्षर ज्ञानी ही, कट्टर बनता है।
नेताम आर सी
मतदान
मतदान
Aruna Dogra Sharma
पंखुड़ी गुलाब की
पंखुड़ी गुलाब की
Girija Arora
वफ़ा
वफ़ा
shabina. Naaz
"पसीने से"
Dr. Kishan tandon kranti
वो मेरे प्रेम में कमियाँ गिनते रहे
वो मेरे प्रेम में कमियाँ गिनते रहे
Neeraj Mishra " नीर "
हम कितने आजाद
हम कितने आजाद
लक्ष्मी सिंह
श्रृद्धेय अटल जी - काव्य श्रृद्धा सुमन
श्रृद्धेय अटल जी - काव्य श्रृद्धा सुमन
Shyam Sundar Subramanian
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
राज वीर शर्मा
किसी को बेहद चाहना ,
किसी को बेहद चाहना ,
पूर्वार्थ देव
रुख के दुख
रुख के दुख
Santosh kumar Miri
#कविता-
#कविता-
*प्रणय प्रभात*
*पुराने जमाने में सर्राफे की दुकान पर
*पुराने जमाने में सर्राफे की दुकान पर "परिवर्तन तालिका" नामक छोटी सी किताब
Ravi Prakash
माणुसकी
माणुसकी
Shinde Poonam
*******अधूरे अरमान*******
*******अधूरे अरमान*******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कुंए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है
कुंए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है
शेखर सिंह
आदमी
आदमी
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
Loading...