चाँद पूछेगा तो जवाब क्या देंगे ।
सुल्तानगंज की अछि ? जाह्न्नु गिरी व जहांगीरा?
इस जीवन में हम कितनों को समझ गए,
बताओ नव जागरण हुआ कि नहीं?
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अष्टांग योग
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
टूटा सागर का अहंकार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तुझे देखा , तुझे चाहा , तु ही तो साथ हरदम है ,
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
मुकद्दर तेरा मेरा एक जैसा क्यों लगता है
मेरी दुनिया उजाड़ कर मुझसे वो दूर जाने लगा
सजनी तेरी बात चली तो धूप चांदनी बन मुसकाई।
निस दिवस मां नाम रटूं, धर हिवड़े में ध्यांन।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
गीत- बिछा पलकें नदी सरयू...