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22 Apr 2024 · 1 min read

अश्रु की भाषा

अश्रु की अपनी भाषा होती है।
कभी कष्ट के , तो कभी प्रसन्नता के ,

कभी आघात के , तो कभी पश्चाताप के ,
कभी मिलन के , तो कभी वियोग के,

कभी पाने के, तो कभी खोने के ,
कभी आभार के , तो कभी तिरस्कार के ,

कभी सम्मान के , तो कभी अपमान के ,
कभी कृतज्ञता के ,तो कभी विश्वासघात के,

ये मूक संवेदना के स्वर हैं।
ये हार्दिक अनुभूति निहित सारगर्भित प्रखर हैंं।

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