क़िस्मत हमारी ख़ुद के ही पहलू से आ मिली
बख़ूबी समझ रहा हूॅं मैं तेरे जज़्बातों को!
उन्हें क्या सज़ा मिली है, जो गुनाह कर रहे हैं
ग़ज़ल _ छोटी सी ज़िंदगी की ,,,,,,🌹
नज़र से क्यों कोई घायल नहीं है...?
शेर : तुझे कुछ याद भी है क्या मिरा उस रात में आना
वक्त रुकता नहीं कभी भी ठहरकर,
हिन्दी ग़ज़ल " जुस्तजू"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
भाल हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
चिंपू गधे की समझदारी - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कबीरा कह गये हो तुम मीठी वाणी
रौनक़े कम नहीं हैं चाहत की