कहां की बात, कहां चली गई,
बरबादियों का जश्न मनाता चला गया~
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏🙏
आपको क्या लगता है ! सामने वाला कुछ जान नहीं रहा होता हैं।
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
ये दिल किसे माने : अपने और बेगाने ?
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
घंटीमार हरिजन–हृदय दलित / मुसाफ़िर बैठा
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
मैं सुर हूॅ॑ किसी गीत का पर साज तुम्ही हो
नारी चेतना का वैश्विक फलक
You don’t have to feel pressured to achieve certain mileston
ग़ज़ल - वो पल्लू गिराकर चले थे कभी,
*उच्चारण सीखा हमने, पांडेय देवकी नंदन से (हिंदी गजल)*