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20 Apr 2024 · 1 min read

कुछ

कुछ
दास्तानें मोहब्बत की
नहीं दर्ज होती कहीं
नहीं लिखी जाती कागज पर
गीत गजल या अशआर बनकर
समय की देह पर
लिखी जाती हैं
वो दास्तानें
जिन्हें समय ही पढ़कर
मिटा दिया करता है
ये
सोई हुईं ज्वालामुखियाँ होती हैं
अगर
हो गईं जागृत
तो सर्वनाश
तय है….

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