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17 Apr 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी . . . .

दोहा त्रयी . . . .

नयन मिले मन मीत से, जागी मन में प्यास ।
मुदित नयन में यूँ लगा, जैसे हो मधुमास ।।

कोई शायर बन गया, कोई बना फकीर ।
इस जग में है प्रेम की, बड़ी अजब तासीर ।।

तन पर तन का आवरण, होने लगा महीन ।
ऐसे विचरण फिर भला, कैसे हों शालीन ।।

सुशील सरना / 17-4-24

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