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6 Apr 2024 · 1 min read

* मुक्तक *

* मुक्तक *
खिल रहे हैं फूल हम भी मुस्कुराएं।
पांखुरी सुन्दर अधर पर भी सजाएं।
बह रही शीतल हवा तन को सुहाती।
स्नेह के पल साथ में मिल कर बिताएं।
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– सुरेन्द्रपाल वैद्य

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