Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
6 Apr 2024 · 1 min read

* थके पथिक को *

** गीतिका **
~~
थके पथिक को जब थोड़ा सा, मिल जाए विश्राम।
आगे बढ़ जाएगा फिर से, लेकर प्रभु का नाम।

सभी दिशाओं में अविरल ये, रहते नित गतिमान।
सीमित नहीं हुआ करते हैं, जीवन के आयाम।

श्रम करते हैं खूब अहर्निश, सबको लेकर साथ।
सभी चाहते हैं जीवन में, खूब कमाएं नाम।

मन हो जाता है आनंदित, खुशियों से भरपूर।
संघर्षों में मिल जाते जब, जय के शुभ परिणाम।

श्रम करके भी कहीं नहीं जब, बन पाती है बात।
ऐसे में कुछ समय बिताकर, कर लेना आराम।

थके हताश हुए तन मन में, आ जाता उत्साह।
प्रीति भरे भावों के जब भी, मिल जाते पैगाम।

नदी किनारे खड़े पथिक को, जाना है उस पार।
हिम्मत है तो हो जाएगी, मुश्किल हल नाकाम।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०५/०४/२०२४

Loading...