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29 Jun 2016 · 1 min read

हमें जब अलविदा तुमने कहा है

हमें जब अलविदा तुमने कहा है
न जीने को हमारे कुछ बचा है

डरेंगे हम नहीं इन आँधियों से
भले ही हाथ में जलता दिया है

बनाया इश्क को कैसा खुदा ने
सितम ही आज तक इसने सहा है

बड़े हम पर लगें इल्जाम कितने
डिगी लेकिन नहीं अपनी वफ़ा है

कटेंगे पाप कैसे तीर्थ से भी
अगर माँ बाप से रहता जुदा है

हवाले मौत के करती सभी को
हमेशा ज़िन्दगी ने ही छला है

दुआयें ‘अर्चना’ सब माँगते हैं
सितारा जब गगन से टूटता है

डॉ अर्चना गुप्ता

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