Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Apr 2024 · 1 min read

होती क्या है काया?

ये शरीर जो है सबके पास बनकर सबका निवास
इस शरीर को चाहता है तो क्या तू पाएगा
सुन! जन्मा है ये शरीर मिट्टी से,समझ तू
ये शरीर तो एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा।

इस शरीर को चाहता है तो क्या तू पाएगा
ये शरीर तो मिट्टी से है बना,ऐ..मनुष्य
ये शरीर तो एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा।

यही मैं सबको समझाता रहा,गीता का मैंने उपदेश दिया
होता है क्या धर्म समझाने हेतु मैंने पूरा संसार रचा, फिर मिटाया
चाहता तो एक चुटकी में सब यूंही बदल देता मैं
परंतु जन्म लेकर मनुष्य का मैंने गीता का ज्ञान सुनाया।

मैं कृष्ण मनुष्य नहीं इश्वर हूं, मैं ये बात भूलकर आया
हर रिश्ते, हर धर्म अपनी निष्ठावानता से मैंने निभाया
फिर भी ना समझा तू मनुष्य होती क्या है काया?
जन्म लेने और मरने का धर्म ही सिर्फ शरीर ने है निभाया।

बाकी सब इस दुनिया में जो है और था वो बस थी मेरी माया
तू क्या जाने मनुष्य कैसे-कैसे मनुष्यता को है मैंने बचाया
कभी राम बन खाए प्रेम से जूठे बेर शबरी के हाथों
तो कभी कृष्ण बन सुदर्शन चक्र भी मैंने हाथों में था उठाया।

तू क्या जाने मनुष्य? ,
कैसे-कैसे मनुष्यता को है मैंने बचाया।।

2 Likes · 141 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

इस गुज़रते साल में...कितने मनसूबे दबाये बैठे हो...!!
इस गुज़रते साल में...कितने मनसूबे दबाये बैठे हो...!!
Ravi Betulwala
सबको
सबको
Rajesh vyas
"सैनिक की चिट्ठी"
Ekta chitrangini
सफलता का मार्ग
सफलता का मार्ग
Praveen Sain
हिना (मेहंदी)( फाल्गुन गीत)
हिना (मेहंदी)( फाल्गुन गीत)
Dr. P.C. Bisen
सोया भाग्य जगाएं
सोया भाग्य जगाएं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
चलो चलें कश्मीर घूमने
चलो चलें कश्मीर घूमने
लक्ष्मी सिंह
बैठ गए
बैठ गए
विजय कुमार नामदेव
शादी
शादी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
शेखर सिंह
इश्क़-ए-क़िताब की ये बातें बहुत अज़ीज हैं,
इश्क़-ए-क़िताब की ये बातें बहुत अज़ीज हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
फ़ोन या ज़िंदगी
फ़ोन या ज़िंदगी
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
221 2121 1221 212
221 2121 1221 212
SZUBAIR KHAN KHAN
मातु शारदे
मातु शारदे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
* चांद के उस पार *
* चांद के उस पार *
surenderpal vaidya
..
..
*प्रणय प्रभात*
परम सत्य
परम सत्य
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
तुम्हे चिढ़ाए मित्र
तुम्हे चिढ़ाए मित्र
RAMESH SHARMA
बिल्ली की तो हुई सगाई
बिल्ली की तो हुई सगाई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कभी जो बेहद करीब था
कभी जो बेहद करीब था
हिमांशु Kulshrestha
आदम का आदमी
आदम का आदमी
आनन्द मिश्र
आपका आकाश ही आपका हौसला है
आपका आकाश ही आपका हौसला है
Neeraj Kumar Agarwal
सपने जिंदगी सच
सपने जिंदगी सच
Yash Tanha Shayar Hu
उसका होना उजास बन के फैल जाता है
उसका होना उजास बन के फैल जाता है
Shweta Soni
17) ऐ मेरी ज़िंदगी...
17) ऐ मेरी ज़िंदगी...
नेहा शर्मा 'नेह'
Stop use of Polythene-plastic
Stop use of Polythene-plastic
Tushar Jagawat
मन मोहन हे मुरली मनोहर !
मन मोहन हे मुरली मनोहर !
Saraswati Bajpai
3105.*पूर्णिका*
3105.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
थोड़ा सा थक जाता हूं अब मैं,
थोड़ा सा थक जाता हूं अब मैं,
पूर्वार्थ
Loading...