Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 May 2024 · 1 min read

*कलयुग*

” समय का चक्र बड़ा निराला है
यहाँ अपना कौन और पराया कौन
यह रहस्य बड़ा सोचने वाला है
पहले जब युग था पुराना
उसमें हर शख्स था
अपना चाहने वाला
अब इस मतलब युग का भेष बड़ा विचित्र
दूसरे के रोने पर
अब यहाँ लोग हँसते हैं
देखो तो इस कलयुग में लोग
एक दूसरे की खुशियां देखकर जलते हैं
दुःख में इंसान के नमक छिड़कना
सुख पाते ही उन्हें अपना रिश्तेदार कहना
जेब हो खाली तो
अपना ही पास आने से कतराता है
धन दौलत के आते ही
वह खुद को सबसे करीबी बताता है
यह कलयुग है या मतलब युग
समझ ना पाई हूं
मैं इंसान बनकर बड़ा पछताई हूँ
जिसे देखो ठगता है झूठ बोलकर
दूसरे के दिल को ठेस पहुँचता है
ऐसे दौर को देखकर मन बड़ा घबराता हैं”✍🏻

Language: Hindi
1 Like · 91 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Vaishaligoel
View all

You may also like these posts

उम्र के फासले
उम्र के फासले
Namita Gupta
मोर पंख सी नाचे धरती, आह सुहानी
मोर पंख सी नाचे धरती, आह सुहानी
Suryakant Dwivedi
टूटे नहीं
टूटे नहीं
हिमांशु Kulshrestha
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दोहा सप्तक. . . . माँ
दोहा सप्तक. . . . माँ
sushil sarna
बटन ऐसा दबाना कि आने वाली पीढ़ी 5 किलो की लाइन में लगने के ब
बटन ऐसा दबाना कि आने वाली पीढ़ी 5 किलो की लाइन में लगने के ब
शेखर सिंह
..
..
*प्रणय प्रभात*
बचपन
बचपन
अवध किशोर 'अवधू'
Become Mentally Strong
Become Mentally Strong
पूर्वार्थ देव
अवधपुरी है कंचन काया
अवधपुरी है कंचन काया
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
gurudeenverma198
जब सुनने वाला
जब सुनने वाला
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
" बँटवारा "
Dr. Kishan tandon kranti
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
पूर्वार्थ
लक्ष्य
लक्ष्य
Suraj Mehra
2833. *पूर्णिका*
2833. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कभी पलट कर जो देख लेती हो,
कभी पलट कर जो देख लेती हो,
Ajit Kumar "Karn"
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
Sudhir srivastava
#जंबूद्वीपे शीश पे आसन
#जंबूद्वीपे शीश पे आसन
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
निःस्वार्थ रूप से पोषित करने वाली हर शक्ति, मांशक्ति स्वरूपा
निःस्वार्थ रूप से पोषित करने वाली हर शक्ति, मांशक्ति स्वरूपा
Sanjay ' शून्य'
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
आनंद प्रवीण
नेक काम है
नेक काम है
विक्रम कुमार
साथ तेरा चाहता हूं ।
साथ तेरा चाहता हूं ।
Kumar Kalhans
.....बेबस नारी....
.....बेबस नारी....
rubichetanshukla 781
सांसों का क्या ठिकाना है
सांसों का क्या ठिकाना है
नूरफातिमा खातून नूरी
ये  तेरी  बेवजह  की  बेरुखी  अच्छी  नहीं   लगती
ये तेरी बेवजह की बेरुखी अच्छी नहीं लगती
Dr fauzia Naseem shad
हर रात रंगीन बसर करने का शौक़ है उसे,
हर रात रंगीन बसर करने का शौक़ है उसे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
212 2-1212- 22 /112
212 2-1212- 22 /112
sushil yadav
इशरत हिदायत ख़ान
इशरत हिदायत ख़ान
इशरत हिदायत ख़ान
दिनकर/सूर्य
दिनकर/सूर्य
Vedha Singh
Loading...