Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Mar 2024 · 1 min read

खुश वही है जिंदगी में जिसे सही जीवन साथी मिला है क्योंकि हर

खुश वही है जिंदगी में जिसे सही जीवन साथी मिला है क्योंकि हर पति परमेश्वर नहीं होता है l

384 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दरख़्त पलाश का
दरख़्त पलाश का
Shakuntla Shaku
कर्मफल
कर्मफल
Rambali Mishra
पसंद उसे कीजिए जो आप में परिवर्तन लाये क्योंकि प्रभावित तो म
पसंद उसे कीजिए जो आप में परिवर्तन लाये क्योंकि प्रभावित तो म
Ranjeet kumar patre
सौदागर हूँ
सौदागर हूँ
Satish Srijan
दोहा पंचक. . . . . होली
दोहा पंचक. . . . . होली
sushil sarna
झूठी मुस्कानों में गम भी बहलना सीख लिए,
झूठी मुस्कानों में गम भी बहलना सीख लिए,
jyoti jwala
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
Rj Anand Prajapati
चाय ही पी लेते हैं
चाय ही पी लेते हैं
Ghanshyam Poddar
शे
शे
*प्रणय प्रभात*
ये ज़िंदगी.....
ये ज़िंदगी.....
Mamta Rajput
महापुरुषों की सीख
महापुरुषों की सीख
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
VINOD CHAUHAN
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हमें बुद्धिमान के जगह प्रेमी होना चाहिए, प्रेमी होना हमारे अ
हमें बुद्धिमान के जगह प्रेमी होना चाहिए, प्रेमी होना हमारे अ
Ravikesh Jha
एकांत ये घना है
एकांत ये घना है
Vivek Pandey
सोलह श्रृंगार कर सजना सँवरना तेरा - डी. के. निवातिया
सोलह श्रृंगार कर सजना सँवरना तेरा - डी. के. निवातिया
डी. के. निवातिया
सर्वनाम
सर्वनाम
Neelam Sharma
"दरअसल"
Dr. Kishan tandon kranti
सम्मुख आकर मेरे ये अंगड़ाई क्यों.?
सम्मुख आकर मेरे ये अंगड़ाई क्यों.?
पंकज परिंदा
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
पूर्वार्थ
मन की लहरें
मन की लहरें "काव्य संग्रह की समीक्षा, आ. अमृत बिसारिया जी
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मदिरालय
मदिरालय
Kaviraag
*रोटी उतनी लीजिए, थाली में श्रीमान (कुंडलिया)*
*रोटी उतनी लीजिए, थाली में श्रीमान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हाइकु (#मैथिली_भाषा)
हाइकु (#मैथिली_भाषा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
- तुम्हारे मेरे प्रेम की पंक्तियां -
- तुम्हारे मेरे प्रेम की पंक्तियां -
bharat gehlot
*होरी के रंग*
*होरी के रंग*
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
“विवादित साहित्यकार”
“विवादित साहित्यकार”
DrLakshman Jha Parimal
एक विचार पर हमेशा गौर कीजियेगा
एक विचार पर हमेशा गौर कीजियेगा
शेखर सिंह
3711.💐 *पूर्णिका* 💐
3711.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...