नारी री पीड़
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ग़ज़ल _ मुसाफ़िर ज़िंदगी उसकी , सफ़र में हर घड़ी होगी ,
तपन ने सबको छुआ है / गर्मी का नवगीत
प्रत्येक नया दिन एक नए जीवन का आरम्भ हैं , जिसमें मनुष्य नए
वोट डालने जाएंगे
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
ज़िंदगी की कँटीली राहों पर
कितनी गौर से देखा करती हैं ये आँखें तुम्हारी,
Website: https://www.samessenger.com/top-8-best-thc-gummies-
मैं बहुत हेट करती हूँ ……………
आसमां पर घर बनाया है किसी ने।
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
माँ बाप बिना जीवन
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
जी हमारा नाम है "भ्रष्ट आचार"
सूरज दादा ने ठानी है, अपना ताप बढ़ाएंगे
सैनिक और खिलाड़ी दोनो देश की शान
बुझी-बुझी सी उम्मीद बरकरार भी है