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30 Mar 2024 · 1 min read

अल्फाज़

बहुत कुछ लिखा है,बहुत कुछ लिखूंगी
सफ़र ये कहीं भी रूकेगा नहीं अब
रूकेगा नहीं अब ये लिखना लिखाना
थकेगी नहीं अब क़लम की ये स्याही
ये स्याही की बूंदें,इबारत के मोती
ये एहसास-ए-दुनिया के सब बेल-बूटे
ये सब बेल-बूटे
सजाना है मुझको
ये रिश्ता क़लम से
निभाना है मुझको।

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