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29 Mar 2024 · 1 min read

*यह दौर गजब का है*

यह दौर गजब का है

यह दौर गजब का है
कोई पांच पैसे में
कोई दो पैसे में बिकता है
आया चुनावो का मेला है
मेले में हर रंग दिखता है।

यह दौर गजब का है……

कोई शोहरत के लिए लड़ता है
कोई दौलत के लिए लड़ता है
कोई कुछ कर जाने की मंशा लेकर
इस मैदान में उतरता है।

यह दौर गजब का है…..

यह तो सच है की पीढ़ी दर पीढ़ी
कुछ ना कुछ बदलता है
इस बदलाव से कितनों के
घर में शामियाना सजता है।

यह दौर गजब का है .. .

हर किसी को अपना अपना
पलड़ा भारी लगता है
आम इंसान तो बस
कशमकश में पिसता है।

यह दौर गजब का है….

लोगों के चेहरे पर जो
मुस्कुराहट ला सकता है
ऐसा एक शख्स चाहिए
जो भारत को मजबूत बना सकता है।

हरमिंदर कौर अमरोहा

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