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27 Mar 2024 · 1 min read

कुछ टूट गया

जीवन की सार्थकता में,
कर्तव्यों की सम्पूर्णता में ,
कुछ छूट गया मुझ में
कुछ टूट गया मुझ में ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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