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20 Mar 2024 · 1 min read

पिटूनिया

बालकनी में
पिटूनिया के
खिलते फूल
घर की
आंतरिक ऊर्जा से
मुस्कुराते हैं
खिलखिलाते हैं हृदय से
उदास भी होते हैं
रोते भी हैं
दुःख से सूखने लगते हैं
जब घर में
माँ नहीं होती
उसे भी पहचान है
माँ की
उसके निश्छल
नेह की,स्नेह की
जिसमें कृत्रिमता की
कोई गुंजाइश नहीं है
घर में वास करनेवाली
दूसरी कोई भी स्त्री
उसकी
माँ नहीं हो सकती
उस पिटूनिया का सुख
सिर्फ गृहलक्ष्मी है
जिसका घर में होना ही
उसके लिए
सुख की
सुखद परिभाषा है।
-अनिल कुमार मिश्र

Language: Hindi
1 Like · 150 Views
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