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14 Mar 2024 · 1 min read

हमें सलीका न आया।

ज़िन्दगी को जीनें का हमें तरीका न आया।
पढ़े तो हम खूब ही पर हमें सलीका न आया।।1।।

क्या क्या बयां करें हम तुम्हें मां की खूबियां।
मां के जैसा हमने यहां कोई मसीहा न पाया।।2।।

बड़े ही परेशा होकर घूमे हम सेहरा सेहरा।
पर तिश्नगी में हमने आब का दरिया न पाया।।3।।

चले तो हम खूब काफिलों में सबके साथ।
पर सफरे जिंदगी में साथ किसी का न पाया।।4।।

परेशानी के सबब में मैंने इबादत तो खूब की।
पर खुदाओं को पसंद मेरा अकीदा न आया।।5।।

चढ़े जिसका हर ही फूल यहां दरगाहों पर
ऐसा फूलों का हमनें कोई बागीचा न पाया।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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