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13 Mar 2024 · 1 min read

भ्रम और तसल्ली

कभी क्षितिज की ओर देखा है?
वहां जहां मिलती है धरती आसमान से

पर ऐसा सच में नहीं होता
एक झूठ है ये
जो सच लगता है

एक झूठ जो धरती हर रोज़
आसमान के कानों में कहती है
एक झूठ जिसे सुनने
आसमान हर रोज़ धरती पर आता है

सच हमेशा सुंदर नहीं होता
शायद सच कभी सुंदर नहीं होता

झूठ ने बनाया है सुंदर इस दुनिया को
एक भ्रम के सहारे चल रही है दुनिया

एक भ्रम है जो चला रहा है ये दुनिया ।।

और एक भ्रम जो हमारे बीच है
सब कुछ काल्पनिक ही तो है
प्रेम का स्वरूप जो बस तसल्ली देता है साथ होने का …….

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