*सब दल एक समान (हास्य दोहे)*
सब दल एक समान (हास्य दोहे)
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1)
सब दल में सब का सभी, करिएगा सम्मान।
किस दल में जाना पड़े, किसे पता भगवान।।
2)
हर दल में सबसे बड़ा, होता हाइकमान।
उसकी पूजा नित करो, मानो ईश-समान।।
3)
सब दल के झंडे अलग, सबके अलग निशान।
पैकिंग का है भेद बस, अंदर माल समान।।
4)
दलबदलू सौ आ गए, अब पूरी बारात।
गुट में गुट ऐसे बना, समझो पूरी बात।।
5)
असली योद्धा है वही, लड़ा टिकट का युद्ध।
साम-दाम से जीतकर, जग में बना प्रबुद्ध।।
6)
टिकट कटा तो रो रहे, यों तो सारी रात।
फिर सेटिंग नूतन हुई, भूले बीती बात।।
7)
बूढ़े यद्यपि हो गए, फिर भी पद में प्राण।
पद छूटा तो जानिए, लगा नाभि में बाण।।
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451