Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2024 · 1 min read

चाय के दो प्याले ,

चाय के दो प्याले ,
बस यूँ हीं लेकर बैठी है
आज शाम
खिड़की पर
कितनी उदास सी लगती है
बतियाती है जाने क्या क्या
सुनने वाला कोई नहीं
मन के छाले
ह्रदय की पीड़ा
गुनने वाला कोई नहीं,
अपने आप को
मना रही है,
अपने आप से रूठी है,

182 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shweta Soni
View all

You may also like these posts

गहरे ज़ख्म मिले हैं जिंदगी में...!!!!
गहरे ज़ख्म मिले हैं जिंदगी में...!!!!
Jyoti Khari
मुश्किल है जिंदगी में ख्वाबों का ठहर जाना,
मुश्किल है जिंदगी में ख्वाबों का ठहर जाना,
Phool gufran
पतझड़ मे एक दर्द की
पतझड़ मे एक दर्द की
अमित कुमार
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।
Manisha Manjari
इस दिल में .....
इस दिल में .....
sushil sarna
जंग लगी खिड़की
जंग लगी खिड़की
आशा शैली
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
कागज़ से बातें
कागज़ से बातें
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
आज़ के रिश्ते.........
आज़ के रिश्ते.........
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
कुछ बात
कुछ बात
ललकार भारद्वाज
तो जानें...
तो जानें...
Meera Thakur
व्यंग्य कविता-
व्यंग्य कविता- "गणतंत्र समारोह।" आनंद शर्मा
Anand Sharma
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
Kanchan Khanna
लिखावट - डी के निवातिया
लिखावट - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
जुगनू और आंसू: ज़िंदगी के दो नए अल्फाज़
जुगनू और आंसू: ज़िंदगी के दो नए अल्फाज़
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सच तो कुछ नहीं है
सच तो कुछ नहीं है
Neeraj Kumar Agarwal
थोड़ा सा बिखरकर थोड़ा सा निखरकर,
थोड़ा सा बिखरकर थोड़ा सा निखरकर,
Shashi kala vyas
व्यथा
व्यथा
Dr.Archannaa Mishraa
इस तरह क्या दिन फिरेंगे....
इस तरह क्या दिन फिरेंगे....
डॉ.सीमा अग्रवाल
*चलती जाती रेल है, इसके सिर्फ पड़ाव (कुंडलिया)*
*चलती जाती रेल है, इसके सिर्फ पड़ाव (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आप चुन लीजिए अपने आकाश को, तो सितारे भी हिस्से में आ जाएंगे
आप चुन लीजिए अपने आकाश को, तो सितारे भी हिस्से में आ जाएंगे
Dr Archana Gupta
दोस्त.......
दोस्त.......
Harminder Kaur
शत् कोटि नमन मेरे भगवन्
शत् कोटि नमन मेरे भगवन्
श्रीकृष्ण शुक्ल
*गौरैया तुम प्यारी हो*
*गौरैया तुम प्यारी हो*
Dushyant Kumar
हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए– गीत
हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए– गीत
Abhishek Soni
"आखिर"
Dr. Kishan tandon kranti
#गीत-
#गीत-
*प्रणय प्रभात*
"शिक्षक दिवस "
Pushpraj Anant
बुद्धि की तेरे जो अक्षमता न होती
बुद्धि की तेरे जो अक्षमता न होती
Dr fauzia Naseem shad
हर किसी का एक मुकाम होता है,
हर किसी का एक मुकाम होता है,
Buddha Prakash
Loading...