Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2024 · 1 min read

बेटियां बोझ कहाँ होती

बेटियां बोझ नहीं है
यह समझने नहीं महसूस करने की जरूरत है,
जिसे मैं महसूस करता था उसके जन्म से
पर आज जान भी लिया बहुत अच्छे से।
जब बेटी ने बिना कुछ कहे ही बता दिया
मुझे अपनी अहमियत।
उस दौर में जब मैं खोखला हो रहा था
अंदर से हार रहा था अपने आप से
हौंसले जब साथ छोड़ने की धमकी दे रहे थे।
तब बेटी की कारगुजारियां
रेगिस्तान में हरियाली लाने की कोशिशों में लगी थीं।
मां बाप बेबस होते हैं
न चाहकर भी बच्चों को बहुतेरी बेबसी से
महफूज़ रखना चाहते हैं,
बेटियों को तो हर दुविधा चिंता से
बहुत दूर ही रखना चाहते हैं
पर बेटियां तो सब कुछ जान लेती हैं
फिर भी बड़े करीने से मौन रहती हैं
और इतनी मासूम इतनी भोली बनती हैं
जैसे वो कुछ जानती ही नहीं हैं,
कुछ कर पायें या न कर पायें
पर हर समस्या से निजात दिलाने के
ताने बाने दिन रात बुनती हैं,
बिना कहे ही वो अपनी ही नहीं
आपकी भी अहमियत का अहसास कराती हैं।
वे बेटी हैं ये कभी नहीं कहती हैं
बल्कि वे आपके लिए विशेष बन जाती हैं
सब कुछ अपने क्रियाकलापों से कहती हैं
आपका ध्यान रखने के साथ बहुत फ़िक्र करती हैं
सिर्फ इतना भर ही नहीं
बेटियां आपके जीवन को विस्तार भी देती हैं,
अपने होने का सिर्फ अहसास कराती हैं,
बेटियां बोझ कहाँ होती हैं?
बेटियां बोझ कहाँ होती हैं?

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
161 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दर्द
दर्द
Mansi Kadam
दौड़ पैसे की
दौड़ पैसे की
Sanjay ' शून्य'
चर्चा बा राजधानी में
चर्चा बा राजधानी में
Shekhar Chandra Mitra
कुछ कमी मुझमे है कि इस जमाने में,
कुछ कमी मुझमे है कि इस जमाने में,
Brandavan Bairagi
मुक्ताहरा सवैया
मुक्ताहरा सवैया
Kamini Mishra
दिव्यास्त्र से कम हैं क्या
दिव्यास्त्र से कम हैं क्या
ललकार भारद्वाज
प्रार्थना के स्वर
प्रार्थना के स्वर
Suryakant Dwivedi
लुटाकर जान करते हैं तिरंगे को नमन सैनिक
लुटाकर जान करते हैं तिरंगे को नमन सैनिक
Dr Archana Gupta
" आखिर कब तक ...आखिर कब तक मोदी जी "
DrLakshman Jha Parimal
यूं ही कोई लेखक नहीं बन जाता।
यूं ही कोई लेखक नहीं बन जाता।
Sunil Maheshwari
- अपनो पर जब स्वार्थ हावी हो जाए -
- अपनो पर जब स्वार्थ हावी हो जाए -
bharat gehlot
"एक विचार को प्रचार-प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है
शेखर सिंह
गुरु रामदास
गुरु रामदास
कवि रमेशराज
!! फूल चुनने वाले भी‌ !!
!! फूल चुनने वाले भी‌ !!
Chunnu Lal Gupta
ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
सत्य कुमार प्रेमी
*राधा-कृष्ण मंदिर, किला कैंप, रामपुर: जिसकी प्राचीन मूर्तियॉ
*राधा-कृष्ण मंदिर, किला कैंप, रामपुर: जिसकी प्राचीन मूर्तियॉ
Ravi Prakash
*चेहरे की मुस्कान*
*चेहरे की मुस्कान*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
तस्मात् योगी भवार्जुन
तस्मात् योगी भवार्जुन
सुनीलानंद महंत
जीवन जीने का ढंग - रविकेश झा
जीवन जीने का ढंग - रविकेश झा
Ravikesh Jha
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
हनुमान वंदना त्रिभंगी छंद
हनुमान वंदना त्रिभंगी छंद
guru saxena
" वाकया "
Dr. Kishan tandon kranti
साथ अपना कभी नहीं खोना
साथ अपना कभी नहीं खोना
Dr fauzia Naseem shad
Acrostic Poem
Acrostic Poem
jayanth kaweeshwar
रामलला फिर आएंगे
रामलला फिर आएंगे
इंजी. संजय श्रीवास्तव
याद तो करती होगी
याद तो करती होगी
Shubham Anand Manmeet
नज़र नहीं आते
नज़र नहीं आते
surenderpal vaidya
जीवन एक उत्सव
जीवन एक उत्सव
Mahender Singh
कविता
कविता
Rambali Mishra
आंख से आंसू गिरते रहते
आंख से आंसू गिरते रहते
दीपक बवेजा सरल
Loading...