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4 Mar 2024 · 1 min read

भोग कामना – अंतहीन एषणा

भोग कामना – अंतहीन एषणा

व्याकुल मन की बात करें क्या
कलियुग की यही माया है

चाह बढ़ी ऐश्वर्य की जैसे
बस विवेक मर जाता है
वित्तोषणा बढ़ जाती है

चरम पर होती भोग कामना
पुण्य-पाप को ताक पे रख के
पोषित करता
अंतहीन एषणा

1 Like · 269 Views
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