"मैं-मैं का शोर"
“मैं-मैं का शोर”
बाहर शून्य भीतर शून्य
शून्य है चारों ओर,
मैं नहीं हूँ फिर भी क्यों
मुझमें मैं-मैं का शोर।
“मैं-मैं का शोर”
बाहर शून्य भीतर शून्य
शून्य है चारों ओर,
मैं नहीं हूँ फिर भी क्यों
मुझमें मैं-मैं का शोर।