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28 Feb 2024 · 1 min read

आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।

आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।
ये रेतीले लम्हात कहाँ किसी के बस में होते हैं ।
ख़ुदा की रहमत जो मिल गयी इक रात वरना –
ज़मीं पे दिन-रात कहाँ किसी के बस में होते हैं ।

सुशील सरना

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