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27 Feb 2024 · 1 min read

युद्ध और शांति

युद्ध और शांति
धधकती ज्वालाओं के बीच
कभी न कभी
गंगाजल निकलेगा
और तुम कहोगे
युग परिवर्तन हो गया।।

तब यही इतिहास
तुमसे करेगा सवाल
युग बदला….?
कब बदला…??
किसने बदला..???

ज़मीन पर रेंगती
चीटियां.. कभी
कालखंड नहीं होतीं
लेकिन मेरुपर्वत पर
वही चढ़ती हैं।।

समय और परिधियों
में भेद-विभेद हो भले
किन्तु सत्य यह भी मनु
हम सांचे में कब ढले
हम ढांचे में कब पले

चींटी भले चढ़ जाये गिरि
वो इतिहास नहीं बनती।
इतिहास तभी बनता है
जब कोई
समय को रौंदता है।
सूर्यकान्त

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