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24 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

रोग मशहूर होते जा रहे हैं ।
ज़ख्म नासूर होते जा रहे हैं ।

अमंगल ही अमंगल है अभी तो,
शुक़्र काफ़ूर होते जा रहे हैं ।

अराजकता,जफ़ा औ’ बेवकूफ़ी,
ये सब दस्तूर होते जा रहे हैं ।

निमंत्रण आपदाओं का मिला है,
दर्द मंजूर होते जा रहे हैं ।

०००

— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

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