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22 Feb 2024 · 1 min read

टूट गई बेड़ियाँ

टूट गयी यूँ बेड़ियाँ सारी
आये धरा पे कृष्ण कन्हाई
वासुदेव कान्हा को छुपाये
यमुना विकराल रूप दिखाये

देवकी वसुदेव भय से कँपते
कारागार में थमते छुपते
दुष्ट कंस ने जब ये जाना
मृत्यु भय था उसने माना

चिरनिद्रा में सब लीन हुए
माया के यूँ आधीन हुए
नियति ने अजब खेल दिखाया
मुस्कुराते कृष्णा धरा आया

चले वासुदेव टोकरी धरे
लल्ला को थामे निकल पड़े
पहुँच गये तब नंद के द्वारे
कान्हा यशोदा के दुलारे

लीलाधर ने जननी पाई
देवकी दूजी यशोदा माई
पहुँच गए यूँ गोकुल चलते
रह गया वो कंस हाथ मलते

हार तनिक न वसुदेव माने
चलते रहे लल्ला को थामे
बरखा,तूफां से न घबराये
छोड़ मथुरा गोकुल आये

काली अँधियारी रात्रि ढली
जगमग उजियारा दिखलाया
जग का उद्धार करने कृष्णा
ले अवतार धरती पर आया।।

✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक

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