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22 Feb 2024 · 1 min read

पानी पर ख़्वाब

पानी पर ख़्वाब

समंदर के पानी पर
लिखे रहते हैं ख़्वाब
जिसके कोने में ठहरी
नज़र नहीं आती
नर्म सी नमी
मगर उसका आख़िरी छोर
अटक गया है वजूद में मेरे
जो रेत की तरह बिखरता है
और नमी को तहों में
समा लेता है
लम्हा लम्हा फिर जुड़ता है
कई सालों में
बनाने को तहरीरें
मुस्कुराहटों की
लहरों की तरह लौटते सिमटते
वो कारगर लम्हे
जिनको श्राप है मुख़्तसर उम्र का
मगर तस्कीन भर सकोरे
उंडेल दिए जाते हैं
कि बरकरार रह जाए
इस सफ़र की प्यास
और लिखी जाए मेरे नाम
एक गुलमोहर की वसीयत ।

Language: Hindi
1 Like · 129 Views
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