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22 Feb 2024 · 1 min read

अंहकार

शीर्षक – अंहकार
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अंहकार का सच सभी जानते हैं।
अपने अपने स्वार्थ हम पहचानते हैं।
जीवन में बस समर्पण और हम रहते हैं।
मैं तो अंहकार का नाम हम सब जानते हैं।
तेरा मेरा रिश्ता चाहत और आकर्षण हैं।
बस अंहकार का नाम नही मुझे समझता हैं।
हां रुप रंग काया माया का अधिकार समझते हैं।
अंहकार का नाम मन भावों का गहना होता हैं।
जीवन की राह क्षणभंगुर हम सभी का कहना हैं।
तब अंहकार का सच हमारे जीवन में रहता हैं।
हम सभी माटी के खिलौने जीवन सच कहता हैं।
बस समय समय की बात धन संपत्ति रहती हैं।
अंहम और अंहकार झूठ फरेब के साथ हैं।
आओ सच पहचाने हम रंगमंच के किरदार रहते हैं।
अंहकार के साथ साथ हम सभी जीवन कहां जीतें हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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