Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 2 min read

“डोली बेटी की”

जब द्वारे से बेटी की डोली चली,
छोड़ चली बाबुल का घर,प्यारी कली।
माँ ने ममता से लोरी सुनाई थी गोद में,
बाहों में झुलाया पिता ने बेटी को मोह में।

मेरे बाग की तू नाजुक डाली ,
घर आज बाबुल का छोड़ के चली।
माथे पे खुशी का ताज रहे,
होठों पे हँसी की धूप खिले।

अनमोल आंसुओं को बहाना नही,
आँसुओं से दामन भिगोना नही।
बेटी कह रही पिता से पापा ना करो पराई,
बेबस था पिता कर रहा विदाई।

मां से बेटी कहती तू कहती राजदुलारी थी,
तेरी खुशियों में मैं हूं फिर करती क्यू विदाई।
बेटी की बातें सुन मां कहती है,
भरा रहे खुशियों से जीवन यही दुआयें देती हूँ।

मां को लगा गोद से कोई,सब कुछ जैसे छीन चला,
फूल जैसे मेरी फुलवारी का सब कोई बीन चला।
बेटी की डोली जब उठती है,
पिता फूट फ़ूट कर रोया है।

जन्म हुआ था लाडली का जैसे वो रोइ थी,
आज विदाई के अवसर पर माँ भी ऐसी रोइ थी।
तिनका तिनका जोड़ कर फूल सी बेटी को पाले थे,
आज विदा कर बेटी को,दूजे आँगन में सौपे थे।

भोर की किरणें फिर मुंडेर पर आएंगी,
विदा हो रही बिटिया की आवाज सुबह ना आएगी।
बेटी का कातर स्वर पिता को झकझोर दिया,
पापा आज क्या सचमुच हमको छोड़ दिया।

क्या इस आँगन के कोने में मेरा कोई स्थान नही,
अब पापा मेरे रोने का ध्यान नही।
मेरी छोटी छोटी ख्वाहिश पापा पूरी करते थे,
मैं आज तुम्हे नही पाती हूं पर एहसास तुम्हे हम करते हैं।

निःशब्द रहे वो कोई और नही पिता है,
अथाह प्रेम जिनमे भरा है,
मन सागर से भी गहरा है।

जाओ बेटी सदा खुश रहो देते हैं आशीर्वाद,
अपनी मीठी सी वाणी से सुखी रहो आबाद।
अपने जीवन भर की तपस्या से ढूढा उत्तम वर,
खुश तुम्हे रखेगा फिर भी नयन आते भर।

बेटी की डोली रोक के कहते हैं सुनो बिटिया रानी,
ससुराल को दिल से अपनाना बन के रहोगी घर की रानी।।

लेखिका:- एकता श्रीवास्तव ✍️
प्रयागराज

226 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ekta chitrangini
View all

You may also like these posts

आजकल की स्त्रियां
आजकल की स्त्रियां
Abhijeet
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
Shweta Soni
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
Shekhar Chandra Mitra
कविता-सुनहरी सुबह
कविता-सुनहरी सुबह
Nitesh Shah
फिर से लौटना चाहता हूं उसी दौर में,
फिर से लौटना चाहता हूं उसी दौर में,
Ranjeet kumar patre
चुनावी खेल
चुनावी खेल
Dhananjay Kumar
आओ उर के द्वार
आओ उर के द्वार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
सूना आज चमन...
सूना आज चमन...
डॉ.सीमा अग्रवाल
रिटायरमेंट
रिटायरमेंट
Ayushi Verma
चुनौती  मानकर  मैंने  गले  जिसको  लगाया  है।
चुनौती मानकर मैंने गले जिसको लगाया है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
" पीती गरल रही है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
गीत- अनोखी ख़ूबसूरत है...पानी की कहानी
गीत- अनोखी ख़ूबसूरत है...पानी की कहानी
आर.एस. 'प्रीतम'
खो गया सपने में कोई,
खो गया सपने में कोई,
Mohan Pandey
बूंद अश्रु मेरे.....
बूंद अश्रु मेरे.....
पं अंजू पांडेय अश्रु
होली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
होली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
Lokesh Sharma
*********** एक मुक्तक *************
*********** एक मुक्तक *************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रणय पथ
प्रणय पथ
Neelam Sharma
देखिए आप अपना भाईचारा कायम रखे
देखिए आप अपना भाईचारा कायम रखे
शेखर सिंह
*अच्छा ही हुआ खरा सोना, घर में रक्खा पीतल पाया (राधेश्यामी छ
*अच्छा ही हुआ खरा सोना, घर में रक्खा पीतल पाया (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
गद्दार है वह जिसके दिल में
गद्दार है वह जिसके दिल में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
Shreedhar
भारत माँ के लाल
भारत माँ के लाल
विक्रम सिंह
🏃जवानी 🏃
🏃जवानी 🏃
Slok maurya "umang"
सब मुझे मिल गया
सब मुझे मिल गया
indu parashar
मुक्तक
मुक्तक
पंकज परिंदा
4341.*पूर्णिका*
4341.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
करवा चौथ
करवा चौथ
Neeraj Kumar Agarwal
यहां दिल का बड़ा होना महानता और उदारता का प्रतीक है, लेकिन उ
यहां दिल का बड़ा होना महानता और उदारता का प्रतीक है, लेकिन उ
पूर्वार्थ
"जो अकेले पड़ गए हैं,
पूर्वार्थ देव
ज़िंदगी इम्तिहान  कब  तक दूँ
ज़िंदगी इम्तिहान कब तक दूँ
Dr Archana Gupta
Loading...