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22 Feb 2024 · 1 min read

"एक दीप जलाना चाहूँ"

दिया बाती को जीवन साथी बनाना चाहूँ,
उसकी ज्योति को जगमगाना चाहूँ।
एक दीप बिखरे जीवन की क्यारी पर,
एक दीप सफल जीवन की तैयारी पर ।

एक दीप तन के उजले,मन के काले में,
एक दीप मन के शिवालय में।
एक दीप अन्तर्मन के आंगन मे,
एक दीप नास्तिक के आंगन में।

एक दीप दुविधा के ,दो राहों पर,
एक दीप फ़ितूरो के चौराहों पर।
एक दीप जलाना चाहूं,
श्रद्धा की भावनाओं पर।

दीप से दीप जलाते रहें,
मन के अंधेरे को भगाते रहें।
हर हृदय में लोभ,ईर्ष्या जल रहे,
आओ हम प्रेम जल से बुझते रहें।

सूर्य बन सकते नही ,जुगनुओं से जलते रहें,
आस की एक किरण से दीप ये जलते रहे।
रागिनी तुम आज ,राग दीपक के गाओ,
आज जो बुझा दीपक उसको जलाओ।

दीप अस्तित्व का,बनना चाहूं,
मन की बगिया को दीपो से सजाऊँ।
दिल मे जो अंधकार भर है,
दिल मे एक दीपक बुझा पड़ा है।

यह दीप बाद स्नेह भरा,
इसकी लौ प्रकाश ,भर देता है।
प्रेम और आस्था का दीपक,
हर घर मे जल सकता है ।

दीपक बाती में ,कितना प्रेम भरा,
यह हमको दर्शाता है ।
है पवित्र पवन संगम इनका,
यह हम सबको ,हर्षाता है।

सब मिल दीप ज्योति से सन्धि करो,
अपने जीवन को सुगंधित करो।

लेखिका:- एकता श्रीवास्तव ✍️
प्रयागराज

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