Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2024 · 1 min read

जो हमने पूछा कि…

ग़ज़ल
जो हमने पूछा कि हम पर यक़ीं नहीं रखते
तो हँस के कहने लगे हां! नहीं नहीं रखते

वो जिसको शौक़ है ख़ाना-बदोशी का उसको
हम अपने दिल में तो हरगिज़ मकीं नहीं रखते

जहाँ सपोले पलें और कलाई डसने लगें
कुशादा इतनी भी हम आस्तीं नहीं रखते

जहाँ पे झुकता है दिल सर वहीं पे झुकता है
हर एक दर पे तो हम ख़म जबीं नहीं रखते

जो दिल में है वो हमारी ज़ुबाँ पे होता है
लबों पे झूठ की हम अंग्बीं नहीं रखते

‘अनीस’ उनका फिसलना तो एक दिन तय है
जो अपने पाँव के नीचे ज़मीं नहीं रखते
– अनीस शाह अनीस

अंग्बीं=शहद

Language: Hindi
1 Like · 240 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"उडना सीखते ही घोंसला छोड़ देते हैं ll
पूर्वार्थ
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
Rj Anand Prajapati
क्यों जीना है दहशत में
क्यों जीना है दहशत में
Chitra Bisht
सागर ने जब जब हैं  हद तोड़ी,
सागर ने जब जब हैं हद तोड़ी,
अश्विनी (विप्र)
തിരക്ക്
തിരക്ക്
Heera S
प्रकृति का बलात्कार
प्रकृति का बलात्कार
Atul "Krishn"
कठिन था बहुत कठिन था रुक कर किसी दर पे फ़िर से चलना बहुत कठि
कठिन था बहुत कठिन था रुक कर किसी दर पे फ़िर से चलना बहुत कठि
Madhu Gupta "अपराजिता"
BET88⭐Nha ca Xanh Chin Hang Dau Chau A⭐
BET88⭐Nha ca Xanh Chin Hang Dau Chau A⭐
bet88accountant
बचपन के दिन
बचपन के दिन
Usha Gupta
In the midst of a snowstorm of desirous affection,
In the midst of a snowstorm of desirous affection,
Chaahat
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
Keshav kishor Kumar
एक गुजारिश तुझसे है
एक गुजारिश तुझसे है
Buddha Prakash
जीवन है अनमोल
जीवन है अनमोल
महेश चन्द्र त्रिपाठी
सुन मानसून ! सुन
सुन मानसून ! सुन
Ghanshyam Poddar
हृदय वीणा हो गया।
हृदय वीणा हो गया।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
बदन खुशबुओं से महकाना छोड़ दे
बदन खुशबुओं से महकाना छोड़ दे
दीपक बवेजा सरल
4488.*पूर्णिका*
4488.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यूं सच्चे रिश्तें भी अब मुसाफ़िर बन जाते हैं,
यूं सच्चे रिश्तें भी अब मुसाफ़िर बन जाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सुधार का सवाल है
सुधार का सवाल है
Ashwani Kumar Jaiswal
जो लिखा है वही , वो पढ़ लेगा ,
जो लिखा है वही , वो पढ़ लेगा ,
Dr fauzia Naseem shad
"आय और उम्र"
Dr. Kishan tandon kranti
कवि गुरू रबीन्द्रनाथ टैगोर
कवि गुरू रबीन्द्रनाथ टैगोर
goutam shaw
जब विस्मृति छा जाती है, शाश्वतता नजर कहाँ आती है।
जब विस्मृति छा जाती है, शाश्वतता नजर कहाँ आती है।
Manisha Manjari
"मैं मजाक हूँ "
भरत कुमार सोलंकी
उनसे ही धोखा मिला ,जिन पर किया यकीन
उनसे ही धोखा मिला ,जिन पर किया यकीन
RAMESH SHARMA
क्या हसीन मौसम है
क्या हसीन मौसम है
shabina. Naaz
बहुत फ़र्क होता है जरूरी और जरूरत में...
बहुत फ़र्क होता है जरूरी और जरूरत में...
Jogendar singh
रोला छंद. . .
रोला छंद. . .
sushil sarna
सर्वनाम
सर्वनाम
Neelam Sharma
गणतंत्र
गणतंत्र
लक्ष्मी सिंह
Loading...