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21 Feb 2024 · 1 min read

कैसी ये शिकायतें?

कैसी ये सिकायते
कैसी ये शिकायतें ?
जरा आज कहिए,
दागी उतनी ही लगेगी
जितनी पहले मिली थी ।

कानाफूसीयों का कहना
जरा आज समझिए,
दिल पर उतनी ही बीतेगी
जितनी पहले सुनी थी ।

शरीर का कराहना
जरा आज साहिए,
पीड़ा उतनी ही होगी
जितनी पहले हुई थी ।

घटाओं की तरह झुकना
जरा आज दोहराइए,
मजबूरियाँ उतनी ही होंगी
जितनी पहले थामी थी ।

बंदिशों की ये दीवारें
जरा आज ढहा दीजिए,
उंगलिया उतनी ही उठेंगी
जितनी पहले दिखी थी ।

कैसी ये विंडबना ?
जरा आज देखिए,
चोट उतनी ही पँहुचेगी
जितनी पहले लगी थी ।

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