Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 Feb 2024 · 1 min read

सब्र का बांँध यदि टूट गया

सब्र का बांँध यदि टूट गया,
फलती-फूलती दुनिया उजड़ जाएगी,
बसे नगर ढ़ह जाएंँगे,
जीवन कुछ क्षण रुक जाएगी,
आपदा बन कर आएगी जब,
नदियाँ झील और सागर का जल,
जल प्लावान करके ढ़ायेगा कहर।

सब्र का बांँध यदि टूट गया,
कांप उठेगी धरती की कोख,
कब्र बनेगी यहाँ हर रोज ।

सब्र का बांँध यदि टूट गया,
खाक हो जाएगी वायुमंडल की ओट,
क्षरण ओजोन परत का होगा,
ग्रीन हाउस गैस जब बढ़ेगा,
दुश्वार होगा जीवन जीना धरा पर,
पसर जायेगा चौतरफा सन्नाटा,
जल रहा होगा धरा का हर अंश।

सब्र का बांँध यदि टूट गया,
प्रकृति को तुम साध ना सकोगे,
संँभल कर गलतियों पर कर लो काबू।

सब्र का बांँध यदि टूट गया,
त्राहि त्राहि मच जाएगा,
सुन्दर प्रकृति का भयावह एक रूप,
प्रत्यक्ष उभर कर डट जाएगा,
नहीं कर सकोगे प्रसन्न ,
दीन मानव सब्र कर स्वयं पर,
प्रकृति के अनुकूल चल।

😌 बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।

Loading...