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3 Mar 2024 · 1 min read

अवसर

अवसर, अवसर, अवसर
रहता सदा है, सिर को ढककर।

सदा ही ये चुप है रहता,
कभी किसी से कुछ न कहता

आता है ये सबके पास,
लगाकर अपने पाने की आस।

छोड़ेंगे हम इसको अगर,
भाग जायेगा यह अवसर।।

अवसर की है बात निराली
मुख पर रखता जुल्फे काली ।

दिखता नहीं इसका मुख
छुट जायेंं तो देता दुख।

पाने को इसे ना छुटे कसर।
अवसर है यह, है अवसर।।

है यह सदा अजर अमर
पास है इसके कई पर ।

छुट जाए उड़ जाए फुरर्र
बना दे सब खण्डहर।

“सन्जू” की सुनो ये खबर
इस पर रखो एक पैनी नज़र।

छुटे न जो यह अवसर
अवसर, अवसर है यह अवसर।।

संजय कुमार “सन्जू”

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