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20 Feb 2024 · 1 min read

#वो अजनबी#

ये शहर बहुत अजनबी लगता था तेरे बिना
पर ,तुझसे मिलकर, ये मौसम गुलाबी हो गया,

जब भी गुज़री कोई शाम तेरे साए में
ऐसा लगा, समां फिर से गुलज़ार हो गया,

रिवाज बदल दे यूं, किसी को तड़पाने का
तुझसे गुफ्तगू का अरमान, फिर ज़ाया हो गया,

धड़कनें अब भी बेचैन हैं ,तेरे इंतज़ार में
पता ही न चला कब तू मेरा सरमाया हो गया।

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