जो विष को पीना जाने
जो विष को पीना जाने वह ही तो मीरा है।
मूरख के आगे अक्ली की बोली तीरा है।
कड़क वाक् से, सीख ग्रहण कर लेता जो तज ताप।
सहज बने गह ज्ञान वही तो सच्चा हीरा है।
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👉 इस मुक्तक को “जागा हिंदुस्तान चाहिए” कृति के द्वितीय संस्करण के अनुसार परिष्कृत किया गया है।जागा हिंदुस्तान चाहिए कृति/काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है ।
👉उक्त मुक्तक को “जागा हिंदुस्तान चाहिए” कृति/ काव्य संग्रह के प्रथम और द्वितीय दोनों संस्करणों में पढ़ा जा सकता है।
👉 इस मुक्तक को “नायक जी के मुक्तक” कृति में भी पढ़ा जा सकता है।
पं बृजेश कुमार नायक
प्रेम सागर
विद्यासागर
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जालौन रत्न
विद्यावाचसपति
राष्ट्रभाषा आचार्य