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19 Feb 2024 · 1 min read

कुछ भी तो पहले जैसा नही रहा

कुछ भी तो पहले जैसा नही रहा
बदल गया तू अब वैसा नही रहा

जरूरत थी सामने बाजार भी था
मजबूर था जेब मे पैसा नही रहा

वो चला गया तो लोगों ने ये कहा
मिले तो बहुत मगर ऐसा नही रहा

‘विनीत’ याद रहा बस तेरा सुरूर
और भूल गया क्या कैसा नही रहा

-देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”

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