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19 Feb 2024 · 1 min read

डर

आंसू से डरते रहे आँखे रहीं भरी
आने से पहले ही मुस्कुराहट चली गई

रातों से डरते रहे शबनम नहीं मिली
उपवन से फूलों से सजावट चली गई

पतझड़ से डरते रहे पेड़ों से रहे दूर
पत्तों की जीवन से सरसराहट चली गई

धूप से डरते रहे बादल तले जिए
अनजाने ही रिश्तों की गर्माहट चली गई

रोने से डरते रहे कुछ कहा नहीं खुलकर
होंठो से जाने क्यों खिलखिलाहट चली गई

मौत से डरते रहे ज़िंदगी निकल गई
खुशियों की आंगन से आहट चली गई

Language: Hindi
1 Like · 203 Views
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