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19 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

सुनाओ दर्द अपना तुम निकलकर हल भी आएगा
अँधेरा आज है तो क्या उजाला कल भी आएगा/1

छिपाए राज बीमारी लगा देंगे छिपाओ मत
लगा है नल अगर प्यारे कभी तो जल भी आएगा/2

मनाओ ज़श्न पर हमको बुला लेना मुहब्बत से
मिटा जो प्यार अनजाने दुबारा खिल भी आएगा/3

नहीं शोहरत से इतराना सिखाती ज़िन्दगी ये भी
सही है वक़्त अब तेरा कभी मुश्क़िल भी आएगा/4

जिसे चाहो दग़ा उससे कभी करना नहीं भूले
रुलाए ख़ून के आँसू नहीं वो पल भी आएगा/5

करो बातें सदा ऐसी झलक इंसानियत जाए
बड़ा प्यारा नफ़ासत का यकीं कर फल भी आएगा/6

अगर दिल है चमन तेरा करूँ दावा यही ‘प्रीतम’
बहारों का तेरे हिस्से कहीं से दल भी आएगा/7

आर. एस. ‘प्रीतम’

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