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19 Feb 2024 · 1 min read

नन्हा बालक

बरसात का मौसम जब आता है सबके चेहरे पर खुशी लेकर आता है पड़ती है जब नन्ही नन्ही फुहारे तो मन प्रफुलित हो जाता है ना जाने क्या-क्या सपने सजा जाता है ।
बच्चों से लेकर नौजवानों तक का ,मन हर्षित कर जाता है
मगर पूछो उस नन्हे बालक से ,बरसात का मजा जिसे मिली है इसकी सजा ,जब गिरी होगी उसके घर की दीवारें तो कहां वो रात बिताता होगा। खुले आसमान के नीचे सोने को अपना नसीब कहता होगा । क्या बिगाड़ा था मैंने तेरा उस बरसात से ये पूछता होगा। देखता होगा जब आसमान की तरफ तो मेघों से ये कहता होगा आओ और खूब बरसो, मेरे घर में अब छत नहीं तुम्हें रोकने वाला वहां अब कोई ना होगा ।
मैं भी मजा लूंगा अब इस बरसात का मेरे पास खोने के लिए अब कुछ ना होगा
ना डाटेगी अब मां मुझे बाहर जाने पर, अब तो खुला आसमान ही हमारा आशियाना होगा ।
बरसों मेघा अब जी भर के बरसो तुम्हें रोकने वाला अब मेरा घर ना होगा।

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