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19 Feb 2024 · 1 min read

हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की

हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
यूं ख़ामोश रहना इसकी फितरत नहीं

— काव्यश

1 Like · 239 Views
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