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18 Feb 2024 · 1 min read

** मैं शब्द-शिल्पी हूं **

मैं शब्द-शिल्पी हूंउ शब्दो को जोड़ता हूं

मैं विध्वंसक नहीं जो दिलों को तोड़ता है /हूं

फिर भी लोग मुझे इल्ज़ाम दिये जातें हैं

मैं मोम-सा कोमल पत्थर किये जाते हैं

ना जाने क्या चाहते हैं मुझसे बेकार में

मेरा- अपना समय बर्बाद किये जाते हैं

चाहते है कौनसी मुझसे दौलत यूं ही

अपने-आप को शर्मसार किये जाते हैं

बेसुमार दौलत है मेरे पास शब्दों की

लुटाना चाहता हूं मैं शब्द -शिल्पी हूं

कहते हैं मुझको चोर और क्या-क्या

बस मेरे पास दिल एक है दूजा नहीं

कहां रख पाऊंगा दूजे दिल-ठौर नहीं

कर लो चाहे जितना दोषारोपण मुझपे

मैं कोई ओर नहीं मैं शब्द -शिल्पी हूं

बिछाकर शब्दों की बिसात यूं खेलता हूं

अपने ग़मों को शब्दों से यूं ठेलता हूं

पेलता हूं ग़मों को मार शब्दों की मार

यूं जिंदगी में मिले ग़मों को झेलता हूं

लोग कहते हैं मैं चोर हूं चित-चोर हूं

मैं शब्द-शिल्पी हूं शब्दों से खेलता हूं

बस शब्द-शिल्पी हूं यूं ही खेलता हूं ।।

💐मधुप “बैरागी”

Language: Hindi
2 Likes · 161 Views
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