Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2024 · 1 min read

जिंदगी है एक खेल

जिंदगी है एक खेल अनोखा ,
तभी तो इसमें बड़े – बड़े ,
इन्सान भी खा जाते हैं धोखा।

जिंदगी की रफ्तार है बड़ी तेज,
तभी तो इसका नहीं कही मिलता तेल।
जिंदगी है कुदरत का एक सुंदर तोफा,
मत मानो इसे अपने घर के अंदर का सोफ़ा।

यह चलती है उतनी ,
जितनी भरी गई है इसमें चाबी।
यह नहीं चलती किसी के कहने ,
पर यही है इसमें खराबी।

इन्सान सोचता है चलाऊंगा,
इसे अपने दिमाग से।
लेकिन ये चलती है ,
अपने हिसाब से।

Language: Hindi
1 Like · 199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अमर रहे बाबा भीमराव अंबेडकर...
अमर रहे बाबा भीमराव अंबेडकर...
TAMANNA BILASPURI
सुप्रभात
सुप्रभात
*प्रणय*
पैसा आपकी हैसियत बदल सकता है
पैसा आपकी हैसियत बदल सकता है
शेखर सिंह
आप इतना
आप इतना
Dr fauzia Naseem shad
आज मंगलवार, 05 दिसम्बर 2023  मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी
आज मंगलवार, 05 दिसम्बर 2023 मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी
Shashi kala vyas
चमत्कार होते न अचानक
चमत्कार होते न अचानक
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मोहब्बत का यहाँ पर वो फ़साना छोड़ जाता है
मोहब्बत का यहाँ पर वो फ़साना छोड़ जाता है
अंसार एटवी
जा रहा है
जा रहा है
Mahendra Narayan
पुरानी पीढ़ी की चिंता
पुरानी पीढ़ी की चिंता
Praveen Bhardwaj
"परम्परा के नाम पर"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन में घर घर खेलने वाले भाई बहन जब शादी के बाद अपना अपना घ
बचपन में घर घर खेलने वाले भाई बहन जब शादी के बाद अपना अपना घ
पूर्वार्थ देव
हमेशा की नींद सुला दी गयी
हमेशा की नींद सुला दी गयी
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
बाल कविता : काले बादल
बाल कविता : काले बादल
Rajesh Kumar Arjun
बहके जो कोई तो संभाल लेना
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उन्हें हद पसन्द थीं
उन्हें हद पसन्द थीं
हिमांशु Kulshrestha
अज्ञानता
अज्ञानता
Dr.sima
प्यासी नज़र
प्यासी नज़र
MEENU SHARMA
विश्वासघात/धोखा
विश्वासघात/धोखा
लक्ष्मी सिंह
विद्यार्थी के मन की थकान
विद्यार्थी के मन की थकान
पूर्वार्थ
करवाचौथ: एक प्रेम पर्व
करवाचौथ: एक प्रेम पर्व
Ashok Sharma
क्यों जिंदगी अब काली रात है
क्यों जिंदगी अब काली रात है
Chitra Bisht
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
ओनिका सेतिया 'अनु '
हर लम्हा
हर लम्हा
surenderpal vaidya
रोशनी की विडंबना
रोशनी की विडंबना
Sudhir srivastava
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
Sushila joshi
अधिकतर ये जो शिकायत करने  व दुःख सुनाने वाला मन होता है यह श
अधिकतर ये जो शिकायत करने व दुःख सुनाने वाला मन होता है यह श
Pankaj Kushwaha
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
डॉ.सीमा अग्रवाल
आ जा अब तो शाम का मंज़र भी धुँधला हो गया
आ जा अब तो शाम का मंज़र भी धुँधला हो गया
Sandeep Thakur
अब हर्ज़ क्या है पास आने में
अब हर्ज़ क्या है पास आने में
Ajay Mishra
ಕಡಲ ತುಂಟ ಕೂಸು
ಕಡಲ ತುಂಟ ಕೂಸು
Venkatesh A S
Loading...