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17 Feb 2024 · 1 min read

मेरी कलम कविता

लोग कहते है कि कुछ दिनों से
मैं बदल सा गया हूं
पर लगता है समय से पहले
मैं संभल सा गया हूं
चाहे मेरा कोई साहित्यिक अतीत नही
और भविष्य भी प्रतीत नही
पर वर्तमान को निरंतर नया रूप देने को
अग्रसर है मेरी कलम
जिसमे भावों व अंतर्द्वंदो की
सुखद घुटन
ना जाने कब से पीड़ा भोग रही है
बाहर आने के लिए
व्यष्टि से समष्टि की ओर
अनंत विस्तार पाने के लिए

@ ओम प्रकाश मीना

Language: Hindi
174 Views
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